पेंच टाईगर रिजर्व

संरक्षित क्षेत्र का नाम : पेंच टाईगर रिजर्व (म.प्र.)
जिले का नाम : सिवनी एवं छिंदवाडा
वनमंडल का नाम : कोर जोन (इंदिरा प्रियदर्शनी पेंच राष्ट्रीय उद्यान, पेंच मोगली अभयारण्य) एवं बफर जोन पेंच टाइगर रिजर्व
जी.पी.एस. : अक्षांश : 21 डिग्री 45 मिनिट 17.37 सेकिंड से 20 डिग्री 50 मिनिट 37.07 सेकिंड
देशांतर : 78 डिग्री 21 मिनिट 8.53 सेकिंड से 79 डिग्री 19 मिनिट 37.61 सेकिंड
क्षेत्रफल : कुल क्षेत्रफल - 1179.632 वर्ग कि.मी. जिसमें कोर क्षेत्र - 411.330 वर्ग कि.मी. (राष्ट्रीय उद्यान - 292.857 वर्ग कि.मी., अभयारण्य - 118.473 वर्ग कि.मी.) बफर क्षेत्र  - 768.302 वर्ग कि.मी.
जैव विविधता संरक्षण का इतिहास :

पेंच टाईगर रिजर्व के वन क्षेत्रों का गौरवशाली इतिहास रहा है। इसके प्राकृतिक सौंदर्य एवं समृद्धि का वर्णन आईने-अकबरी एवं अन्य कई प्राकृतिक इतिहास की पुस्तकें जैसे आर.ए. स्ट्रेन्डल की ‘‘सिवनी, कैम्प लाईफ इन दा सतपुड़ा‘‘, फोर्सेथ की ‘‘हाई लैण्डस आफ सेन्ट्रल इंडिया‘‘, डनबर ब्रेन्डर की ‘‘वाईल्ड एनीमल्स आफ सेन्ट्रल इंडिया‘‘ में है। स्टेन्डल की आत्मकथा जैसी किताब ‘‘सिवनी’’ रूदियार्ड किपलिंग की ‘‘दा जंगल बुक’’ लिखने में मुख्य प्रेरणा स्त्रोत थी।

‘‘दा जंगल बुक’’ का क्षेत्र

पेंच टाईगर रिजर्व एवं इसके आसपास का क्षेत्र रूडियार्ड किपलिंग के प्रसिद्ध ‘‘दा जंगल बुक’’ का वास्तविक कथा क्षेत्र है। रूडियार्ड किपलिंग ने आर.ए. स्ट्रेन्डल की पुस्तक ‘‘सिवनी’’, ‘‘मैमेलिया आफ इंडिया एण्ड सीलोन‘‘ और ‘‘डेनीजेन्स आफ दा जंगल‘‘ को भौगौलिक संरचनाओं तथा वन्य प्राणियों के व्यवहार के लिए आधार बनाया था। मोंगली की कल्पना सर विलियम हेनरी स्लीमेन के पैम्पलेट ‘‘एन एकाउन्ट आफ वूल्फ्स नरचरिंग चिल्ड्रेन इन देयर डेनस’’ से की गयी है। जिसमें वर्ष 1831 में सिवनी के पास सन्तबावड़ी नामक ग्राम में भेड़ियो के साथ पले-बढ़े एक बालक के पकड़े जाने की रिपोर्ट है। ‘‘दा जंगल बुक’’में वर्णित स्थान, वैनगंगा नदी, उसकी घाटी जहां शेर खान मारा गया था, ग्राम कान्हीवाड़ा और सिवनी की पर्वत मालायें आदि सिवनी जिले में वास्तविक स्थान है।

वर्ष 1977 में 449.39 वर्ग कि.मी. वन क्षेत्र को पेंच अभ्यारण्य क्षेत्र घोषित किया गया था। वर्ष 1983 में इसमें से 292.850 वर्ग कि.मी. क्षेत्र को पेंच राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया था, एवं 118.47 वर्ग कि.मी. क्षेत्र पेंच अभ्यारण्य के रूप में रखा गया। वर्ष 1992 में भारत सरकार द्वारा पेंच राष्ट्रीय उद्यान, पेंच अभ्यारण्य एवं कुछ अन्य वन क्षेत्रों को सम्मिलित कर 757.850 वर्ग कि.मी. क्षेत्र को देश का 19 वां प्रोजेक्ट टाईगर रिजर्व बनाया गया। वर्ष 2002 में पेंच राष्ट्रीय उद्यान एवं पेंच अभ्यारण्य का नाम क्रमशः इंदिरा प्रियदर्शनी पेंच राष्ट्रीय उद्यान एवं पेंच मोगली अभ्यारण्य रखा गया। पेंच जल विद्युत परियोजना के अंतर्गत वर्ष 1973 से 1988 के मध्य पेंच नदी पर तोतलाडोह जलाशय का निर्माण किया गया। जिससे 72 वर्ग कि.मी. क्षेत्र डूब में आया। इसमें से 54 वर्ग कि.मी. डूब क्षेत्र मध्यप्रदेश एवं शेष महाराष्ट्र में है।

लेंडस्केप का विवरण :

टाईगर रिजर्व की भौगोलिक संरचना ऊबड़ खाबड़, पहाड़ी एवं समतल क्षेत्रों से मिलकर बना है। जिनमें अनेक नदी, नाले एवं झरने है। यहां के अधिकांश जल स्त्रोत मौसमी है। अधिकांश पहाड़ियां ऊपर से समतल हैं जहां से जंगलो का महोहरी दृश्य दृष्टिगोचर होता है। इन पहाड़ियों में से सबसे चर्चित काला पहाड़ है, जिसकी ऊंचाई समुद्र सतह से 650 मीटर है। पेंच टाईगर रिजर्व के बीचों बीच बहने वाली पेंच नदी भी अप्रेल माह के अन्त तक लगभग सूख जाती है किन्तु इसमें कई पानी के बड़े-बड़े कुंड मिलते हैं, जो वन्यप्राणियों के लिये महत्वपूर्ण जल स्त्रोत हैं। इस क्षेत्र में कुछ बारहमासी झरने भी हैं। किन्तु जल स्त्रोत समुचित रूप से वितरित नहीं है, इसलिये वन्यजीवो के लिए समुचित मात्रा में जल संरक्षण संबंधी व्यवस्थायें की गयी है। पेंच नदी पर निर्मित तोतलाडोह जलाशय गर्मी के मौसम में वन्यजीवों के लिए एक प्रमुख जल स्त्रोत है।

वन का प्रकार :

पेंच टाईगर रिजर्व में पाये जाने वाले वनों को निम्नानुसार तीन भागों में बांटा गया है : -

  • दक्षिण भारतीय ऊष्ण कटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन (साधारण आर्द्र)
  • दक्षिणी ऊष्ण कटिबंधीय शुष्क पर्णपाती सागौन वन
  • दक्षिणी ऊष्ण कटिबंधीय शुष्क पर्णपाती मिश्रित वन

शुष्क मिश्रित वन संरक्षित क्षेत्र के लगभग एक तिहाई क्षेत्रफल में फैला हुआ है। जिसकी मुख्य प्रजातियां धावड़ा, सलई, अचार, मोयन, साजा, तेंदू इत्यादि हैं। नदी नालों के किनारे कहुआ (अर्जुन), जामुन, गूलर, आईक्जोरा और साजा आदि पाई जाती है। पुराने ग्रामों के विस्थापित क्षेत्रो के खुले वनों में महुआ, पलाश, बेर, तेंदु इत्यादि के पेड़ इधर-उधर बिखरे हुए पाये जाते हैं। लगभग एक चैथाई क्षेत्र में सागौन वन पाये जाते हैं। कुछ मिश्रित एवं सागौन वनों में बांस भी पाया जाता हैं।

अधिकांश वन क्षेत्रों में प्रचुर मात्रा में घास पायी जाती है। सागौन वनों में भी पर्याप्त मात्रा में घास उगती है। जो शाकाहारी वन्यप्राणियों विशेष रूप से चीतल के लिए उपयुक्त रहवास है।

वनस्पति एवं वन्यप्राणी :

मांसाहारी वन्यप्राणी में शेर, तेन्दुआ, जंगली बिल्ली, जंगली कुत्ते, लकड़बग्घा,  सियार, लोमड़ी, भेड़िया, नेवला, सिवेट केट इत्यादि पाये जाते है। शाकाहारी प्रजातियों में गौर, नीलगाय, सांभर, चीतल, चैसिंगा, चिंकारा, जंगली सुअर इत्यादि प्रमुख है ।

इस राष्ट्रीय उद्यान में लगभग 325 प्रजातियों के पक्षी भी वर्ष के विभिन्न मौसमो में देखे जा सकते हैं। पार्क की सीमा के अंदर स्थित तोतलाडोह जलाशय के डूब क्षेत्रों में ठंड के मौसम में कई प्रकार के प्रवासी पक्षियों का जमघट लगा रहता है। प्रवासी पक्षियों में ब्रम्हिनी डक, पिनटेल, व्हिसलिंग टील, वेगटेल इत्यादि प्रमुख है ।

जूलाजिकल सर्वे आफ इंडिया के द्वारा इस संबंध में सर्वेक्षण करने पर इस संरक्षित क्षेत्र में लगभग 57 प्रजाति के स्तनपाई (मेमल्स), 13 प्रकार के उभयचर, 37 प्रकार के सरीसृप एवं 50 प्रकार की मछलियां का पता लगाया जा चुका है। इसके साथ साथ विभिन्न प्रकार के रहवास में लगभग 325 से अधिक प्रजातियो के पक्षियों की पहचान की जा चुकी है। 

इस राष्ट्रीय उद्यान एवं अभ्यारण्य में अकशेरूकी के सदस्य भी काफी संख्या में पाये जाते है । अभी तक सर्वेक्षण में 5 प्रजाति के दीमक, 13 प्रकार के कीड़े,  33 प्रकार के भृंग, 45 प्रकार के तितलियों, एवं 56 प्रकार के मोथ की पहचान की जा चुकी है ।

वनस्पति के मामले में भी यह क्षेत्र काफी प्रचुर हैं। लगभग 31 प्रजाति के अधिक ऊंचाई के वृक्ष, 52 प्रजाति के मध्यम प्रकार के वृक्ष एवं 65 प्रजाति के कम ऊंचाई के वृक्ष पाये जाते हैं। इसके साथ साथ 120 प्रकार की झाड़ियाएवं 485 प्रकार के शाकीय पौधे भी विभिन्न प्रकार के रहवास में पाये जाते है । इतना ही नही 72 प्रकार की महत्वपूर्ण बेल भी इस वन में देखी जा सकती हैं। 8 प्रकार के परजीवी तथा 3 प्रकार के एपिफाइटस भी पाये जाते हैं। औषधीय पौधों की 127 प्रजातियों की पहचान की गई हैं। सफेद मुसली, काली मुसली, जंगली हल्दी, शतावर, गिलोय, ऐठी, आंवला, बेल, बहेड़ा एवं अन्य कई प्रजातियों के बहुमूल्य औषधीय पौधे इस सुंदर वन में पाये जाते हैं।

प्राकृतिक ईकोसिस्टम में विभिन्न प्रजातियों के घास एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस वन क्षेत्र में लगभग 82 प्रकार की घास प्रजातियां पायी जाती हैं। किसी किसी क्षेत्र, जैसे काला पहाड़, बांस नाला, मन्नू तालाब, बोदा नाला इत्यादि क्षेत्र में बांस भी पाये जाते हैं।

इंदिरा प्रियदर्शनी पेंच राष्ट्रीय उद्यान और मोंगली पेंच अभ्यारण्य क्षेत्र में मुख्यतः सागौन प्रजाति के वन है। सागौन के साथ साजा, धावड़ा, लेण्डिया, सलई, धोबन, तेन्दु, बीजा, गरारी, कुल्लु, आंवला, धामन, धोंट, अमलतास, भिर्रा एवं पलास प्रजाति के वृक्ष भी हैं।

रहवास का विवरण : पेंच कोर क्षेत्र में रहवास हेतु वन क्षेत्र जिनमें मुख्यतः सागौन वन, मिश्रित वन, सलई वन तथा घास के मैदान तथा नदी, नाले का क्षेत्र है। वन्यप्राणियों को पेयजल उपलब्ध कराने हेतु पाकृतिक जलस्त्रोत जैसे नदी, नाले, झिरिया, डोह, कस्सा इत्यादि के साथ-साथ छोटे-बड़े मिट्टी के बांध, डाईक, स्टापडेम, हेंडपंप, सासर आदि विकसित किये गये हैं। पेंच के कोर क्षेत्र के अन्दर वर्तमान में कोई ग्राम अस्तित्व में नहीं है। उद्यान के गठन के समय उद्यान के अन्दर 8 ग्राम थे। जिन्हे जून 1994 तक उद्यान क्षेत्र के बाहर विस्थापित किया गया। इन ग्रामों के विस्थापन से बने क्षेत्रों को घास के मैदानों में विकसित किया गया है। इसके अतिरिक्त लेंटाना के क्षेत्र भी शाकाहारी एवं मांसाहारी वन्यप्राणियों का प्रमुख रहवास स्थल है। पेंच नदी के क्षेत्र में भी पाकृतिक गुफाएं मौजूद हैं।

पर्यटन जानकारी :
  • पर्यटन प्रवेश द्वार का विवरण : टुरिया, कर्माझिरी तथा जमतरा प्रवेश द्वार
  • पर्यटन जोन : टुरिया, कर्माझिरी तथा जमतरा जोन
  • पर्यटन धारण क्षमता : 88 वाहन प्रतिदिन (टुरिया 68, कर्माझिरी 12 एवं गुमतरा प्रवेश द्वार से 8 वाहन प्रतिदिन) पेंच टाईगर रिजर्व में 116 कि.मी. मार्ग तथा 82.3 वर्ग कि.मी. (20 प्रतिशत) क्षेत्र में पर्यटन होता है ।

ठहरने की व्यवस्था :

ठहरने की व्यवस्था कमरों की संख्या बिस्तरों की संख्या
वन विश्राम गृह कर्माझिरी 12 24
वन विश्राम गृह घाटकोहका 02 04
डोरमेट्री कर्माझिरी 01 10
वन विश्राम गृह जमतरा 02 04
वन विश्राम गृह खवासा 01 02

पहुंच मार्ग :

  • रेल मार्ग :

    मध्य रेलवे के अंतर्गत जबलपुर और नागपुर, दक्षिण-पूर्व रेलवे में सिवनी छोटी लाईन नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं । इन सभी स्टेशनों में जबलपुर, नागपुर सबसे नजदीक और सुविधाजनक है ।

  • सड़क मार्ग :
    • जबलपुर-सिवनी-सुकतरा-कर्माझिरी : 195 कि.मी.
    • जबलपुर-सिवनी-खवासा-टुरिया : 215 कि.मी.
    • नागपुर-खवासा-टुरिया : 85 कि.मी.
    • नागपुर-सुकतरा-कर्माझिरी : 135 कि.मी.
    • बालाघाट-सिवनी-सुकतरा-कर्माझिरी : 150 कि.मी.
    • बालाघाट-सिवनी-खवासा-टुरिया : 150 कि.मी.
    • सिवनी-सुकतरा-कर्माझिरी : 50 कि.मी.
    • सिवनी-सुकतरा-टुरिया : 50 कि.मी.
    • छिंदवाडा-बिछुआ-पाथरी-थोटामाला-जमतरा : 80 कि.मी.
    • बैतूल-छिंदवाडा-बिछुआ-पाथरी-थोटामाला-जमतरा :75 कि.मी.
    • छिंदवाडा-चांद-मैधदौन-थोटामाला-जमतरा :59 कि.मी.
    • नागपुर-सौंसर-तंसरा-बिछुआ-थोटामाल-जमतरा : 165 कि.मी.
    • सिवनी-चैरई-चांद-मैघदौन-थोटामाल-जमतरा : 75 कि.मी.
    • सिवनी-चैरई-साख-कुंभपानी-जमतरा : 80 कि.मी.
  • वायु मार्ग :
    • नागपुर (महाराष्ट्र) एवं जबलपुर (मध्यप्रदेश) निकटतम हवाई अड्डे हैंं ।

वेबसाइट संबंधी विवरण : www.penchtiger.co.in
क्षेत्र की विशिष्टता :

पेंच टाईगर रिजर्व, म.प्र. को बेहतरीन पर्यटन व्यवस्था हेतु ‘‘राष्ट्रीय पर्यटन पुरूस्कार 2006-07’’ के अंतर्गत ‘‘बेस्ट मेनटेन्ड टूरिस्ट फ्रेन्डली नेशनल पार्क’’  अर्वाड से सम्मानित किया गया।

सम्पर्क सूत्र : कार्यालय क्षेत्र संचालक, पेंच टाइगर रिजर्व, सिवनी, मध्यप्रदेश 480661, फोन: 07692-223794 (कार्यालय), फैक्स: 07692-223204, ई-मेल : dirpenchnp@mpforest.org  एवं dirpenchnp@mp.gov.in
प्रचार :
आनलाईन बुकिंग : क्लिक करें ।

अन्य वेबसाइट
संपर्क करें
  • कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक,
    मध्यप्रदेश, वन भवन, तुलसी नगर, लिंक रोड नंबर-2, भोपाल- 462003
  • दूरभाष : +91 (0755) 2674240, 2524132
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